केंद्र का बड़ा फैसला- पाम ऑयल मिशन को मंजूरी, खर्च होंगे 11,040 करोड़ रु; खाद्य तेलों के इम्पोर्ट पर घटेगी निर्भरता
Cabinet decisions: सरकार का कहना है कि पाम ऑयल स्कीम से कैपिटल इन्वेस्टमेंट बढ़ेगा, रोजगार के अवसर बनेंगे, इम्पोर्ट पर निर्भरता घटेगी और इसके साथ ही किसानो की आमदनी भी बढ़ेगी.
(file Image: PIB)
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Cabinet decisions: केंद्र सरकार ने पाम ऑयल मिशन (Palm oil mission) का एलान किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की मीटिंग में नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल- ऑयल पाम (NMEO-OP) को मंजूरी दी गई. इस पर 11,040 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इस नेशनल मिशन का मकसद अगले पांच साल में पाम ऑयल की घरेलू खेती को बढ़ावा देना और देश की एडिबल ऑयल इम्पोर्ट पर निर्भरता को कम करना है. प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से अपने भाषण में नई केंद्रीय स्कीम लॉन्च करने का एलान किया था.
कैबिनेट की फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ने बताया कि पाम ऑयल नेशनल मिशन का मुख्य फोकस नॉर्थ ईस्ट प्रदेश और अंडमान एंड निकोबार द्वीप समूह हैं. एडिबल ऑयल के इम्पोर्ट पर भारी-भरकम खर्चे को देखते हुए यह जरूरी है कि एडिबल ऑयल का घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाया जाए. इसमें पाम ऑयल की खेती एक अहम रोल हो सकता है. इस स्कीम पर कुल 11,040 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इसमें से 8,844 करोड़ रुपये भारत सरकार और 2,196 करोड़ रुपये राज्य सरकारें देगी.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh Tomar) ने बताया कि अभी भी देश में पाम ऑयल की खेती हो रही है, लेकिन वह काफी सीमित है. अब इसे बड़े स्तर पर करने की तैयारी है. भारत में खाने के तेल की खपत में सालाना 3 से 3.5 फीसदी बढ़ने का अनुमान है.
पूर्वोत्तर में काफी संभावना
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कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि आईसीएआर ने बताया था कि 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पाम ऑयल की खेती की जा सकती है. इसमें से एक बड़ा हिस्सा पूर्वोत्तर में है. छोटे किसान के लिए पाम ऑयल की खेती मुश्किल है क्योंकि फसल लगाने के 5 और पूरी तरह से 7 साल बाद पैदावार मिलती है. इसके अलावा दाम के उतार चढ़ाव के कारण भी छोटे किसानों के लिए पाम ऑयल की खेती चुनौतीपूर्ण है. पूर्वोत्तर भारत में लॉजिस्टिक से लेकर तमाम समस्याएं हैं. वहां उत्पादन भी अगर होगा तो इंडस्ट्री नहीं है. इसी को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने ऑयल पाम मिशन की शुरुआत की और तमाम समस्याओं के समाधान के लिए जरूरी कदम उठाए गए.
2029-30 तक 28 लाख टन प्रोडक्शन लक्ष्य
इस स्कीम के तहत, 2025-26 तक पाम ऑयल के लिए 6.5 लाख हेक्टयेर अतिरिक्त क्षेत्र में इसकी खेती करना है. इसे बढ़ाकर 10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र तक करना है. 2025-26 तक क्रूड पाम ऑयल प्रोडक्शन का लक्ष्य 11.20 लाख टन रखा गया है, जबकि 2029-30 के लिए यह लक्ष्य 28 लाख टन का है. सरकार का कहना है कि इस स्कीम का फायदा पाम ऑयल किसानों को होगा. इससे कैपिटल इन्वेस्टमेंट बढ़गा, रोजगार के अवसर बनेंगे, इम्पोर्ट पर निर्भरता घटेगी और इसके साथ ही किसानो की आमदनी भी बढ़ेगी.
05:12 PM IST